Maharashtra FDA’s Crackdown on Quick Commerce Dark Stores in Pune
महाराष्ट्र में क्विक कॉमर्स डार्क स्टोर्स पर FDA का तगड़ा डंडा: Blinkit-Zepto की नींद उड़ी, ग्राहक सोच में पड़े
अब ये क्विक कॉमर्स Maharashtra FDA’s वाला फंडा बड़ा ही मजेदार है, सही बताऊं तो। Blinkit, Zepto, Instamart नाम सुनते ही दिमाग में एक ही चीज़ आती है: “भाई, सब्ज़ी चाहिए, दूध चाहिए, एक घंटे में पहुंचाओ!” और ये कंपनियां भी किसी जादूगर की तरह सब कुछ सामने हाजिर कर देती हैं। पर भाई, जादू के पीछे क्या चल रहा है, इसका राज़ अब खुलने लगा है। महाराष्ट्र के FDA (जो समझ लो, खाने-पीने का पुलिस है) ने इन डार्क स्टोर्स की जमकर क्लास लगा दी है।
क्विक कॉमर्स फास्ट लाइफ का फास्ट फूड
देखो, आजकल शहरों में किसी के पास टाइम नहीं है। ऑफिस जाना, मीटिंग्स करना, और घर लौटते हुए “स्मार्टफोन से सब ऑर्डर मारो।” डार्क स्टोर्स इसी गेम का हिस्सा हैं। ये दुकानें बाहर से दिखती नहीं, न कोई बोर्ड, न भीड़-भाड़। बस, अंदर वर्कर लोग पैकेट पैक करते हैं, बाइक वाले आते हैं, ऑर्डर लेकर निकल लेते हैं। मतलब, सीधा पर्दे के पीछे से खेल चल रहा है।
पुणे में FDA का ‘चकाचक’ मिशन
अब मज़ा तब आया जब पुणे के बालेवाड़ी वाले Blinkit डार्क स्टोर पर FDA ने रेड मार दी। भाई, लाइसेंस ही नहीं था! ऊपर से सफाई ऐसी कि देख लो तो पेट दर्द हो जाए। गंदगी, फंगस, पानी जमा, खाने का गलत स्टोरेज मतलब, जो चीज़ें खाने में नहीं होनी चाहिए, सब वही थी। झट से स्टोर बंद, Blinkit की हवा टाइट! और बात यहीं नहीं रुकी FDA वालों ने पूरा शहर छान मारने की ठान ली। अब हर डार्क स्टोर की लिस्ट बन रही है, कभी भी रेड पड़ सकती है।
Zepto का मुंबई धारावी में बुरा हाल
Zepto भी कम नहीं निकला। धारावी वाले डार्क स्टोर में तो हालात और भी खराब थे। फंगल ग्रोथ, पानी भरा पड़ा है, फर्श गंदा, कूलिंग खराब…अब बोलो, क्विक डिलीवरी के नाम पर ये सब? खाना है या बीमारी का फास्ट ट्रैक टिकट?
क्विक कॉमर्स का असली सच: स्पीड VS सेफ्टी
देखो, हर चीज़ की एक हद होती है। स्पीड जरूरी है, लेकिन सफाई उससे भी ज्यादा। वरना खाना तो मिलेगा, पर पेट में दर्द, उल्टी, फूड पॉइज़निंग भी फ्री में। ये डार्क स्टोर्स जितने फास्ट ऑर्डर डिलीवर करते हैं, उतनी ही फास्ट गड़बड़ी भी पकड़ में आ रही है।
ग्राहक क्या बोले?
गायत्री (पाशान) पूरी टेंशन में “इतनी गंदगी देखी, अब सब्ज़ीवाले भैया ही बेस्ट।”
नीरज (हदपसर) का कहना “सही है कि छापा पड़ रहा है, वरना हमें तो पता ही नहीं चलता कि हमारा खाना किस हालत में आ रहा है।”
ब्रांड्स की सफाई, लेकिन जवाबदेही धुंधली
Blinkit मौन व्रत। Zepto बोले, “हम तो सब रूल फॉलो करते हैं, फूड सेफ्टी हमारी प्रायोरिटी है।” पर सच्चाई तो स्टोर की हालत देखकर ही पता चल रही है। असल में, ये फ्रेंचाइज़ी मॉडल है हर जगह अलग मालिक, अलग तरीका, लेकिन नाम बड़ा एक जैसा। अब बड़ा ब्रांड हो, या छोटा, जवाबदेही से बचना मुश्किल है।
FDA का नया रूल: या तो सुधरो, या ताला लगाओ
FDA ने साफ कर दिया अब रूल तोड़ोगे तो लाइसेंस गया। दुकान बंद, धंधा ठप। बाकी जो ठीक से चल रहे हैं, वो सर्वाइव करेंगे लेकिन नजर सब पर है। हर किसी की जाँच होगी, पेपरवर्क और सफाई पर पूरा फोकस है। जो पकड़ा गया, उसकी शामत!
क्विक कॉमर्स के लिए सीख: स्पीड में भी सेफ्टी जरूरी
बात सीधी है जितना तेज भागोगे, उतना ही ध्यान रखो कि रास्ता साफ है या नहीं। वरना गिर गए तो सीधे अस्पताल! क्विक कॉमर्स वालों को समझना पड़ेगा गड़बड़ पकड़ी गई तो ब्रांड की इमेज धूल में मिल सकती है।
थोड़ी कल्पना करो एक दिन डार्क स्टोर्स की जगह पर फिर से मोहल्ले की किराना खुल जाए?
कितना बढ़िया होता ताजा सब्ज़ी, साफ-सुथरा सामान, और पड़ोसियों की गपशप मुफ्त। लेकिन जबतक ऑनलाइन फास्ट डिलीवरी का क्रेज़ है, तब तक FDA की सख्ती ऐसे ही जरूरी है। वरना, घर बैठे बीमारी मंगवाओगे और पता भी नहीं चलेगा।
अंत में ग्राहक की सेहत सबसे जरूरी
मेरे हिसाब से, फास्ट डिलीवरी बढ़िया है, लेकिन फूड सेफ्टी के मामले में जीरो टॉलरेंस होनी चाहिए। कंपनी कितनी भी बड़ी हो, अगर गड़बड़ की तो ताला लगे। वरना, Blinkit- Zepto जैसे ब्रांड्स के लिए ‘क्विक कॉमर्स’ से ‘क्विक क्रैश’ तक का सफर बस एक रेड दूर है। So, खाना ऑर्डर करो, लेकिन आंखें खुली रखो—कहीं जादू से पहले जहर न मिले!
उपभोक्ताओं के लिए अब करना क्या है?
देखो, आजकल ऑनलाइन ऑर्डर करना तो जैसे सुबह की चाय हो गया है बिना इसके दिन शुरू ही नहीं होता। पर यकीन मानो, ये कोई बच्चों का खेल नहीं है। सबसे पहले, जब भी कोई ऐप खोलो या वेबसाइट पर जाओ, आंखें खोलकर देखो कि कहीं ये प्लेटफॉर्म हवा-हवाई तो नहीं? लाइसेंस, सर्टिफिकेट ये सब दिख रहे हैं या नहीं? अगर नहीं, तो भाई, थोड़ा अलर्ट हो जाओ। फिर, रिव्यू पढ़ो मतलब, लोग क्या-क्या बोल रहे हैं? कोई गुस्से में गरिया रहा है या सब खुश हैं? जहां आग लगी है, वहां धुआं तो दिखेगा ही।
डिलीवरी के वक्त भी Sherlock Holmes बन जाओ सामान में गड़बड़, पैकिंग में गड़बड़ी, या डिलीवरी वाला खुद गड़बड़ लग रहा है? तुरंत रिपोर्ट ठोक दो। चुप रहने से तो कुछ नहीं होगा, उल्टा अगली बार और बुरा मिलेगा। और हां, अपने मोहल्ले के किराना वाले को भी मत भूलो। वो बंदा कम से कम सामने तो है, और उसकी सफाई-धुलाई भी देखी जा सकती है। लोकल पर भरोसा, भाई!
अब कंपनियों की जिम्मेदारी ये सिर्फ धंधा नहीं, भरोसे का सवाल है
क्विक कॉमर्स वालों को समझना पड़ेगा कि ग्राहक का भरोसा कोई Jio का डेटा नहीं, जो खत्म हो गया तो फिर से भर गया। एक बार टूटा तो वापस लाना मुश्किल है। फ्रैंचाइज़ी पर सुपरविजन टाइट करो, सिर्फ नाम के लिए नहीं, जमीनी हकीकत में भी। डार्क स्टोर्स मतलब वो गोदाम जो दिखते नहीं, मगर सारा खेल वहीं होता है उनकी रेगुलर जाँच जरूरी है। हर हफ्ते, हर महीने, जब मौका मिले, जा के देखो कि अंदर क्या पक रहा है।
स्टाफ को खाना-पानी की हैंडलिंग की ट्रेनिंग दो, ऐसा नहीं कि कल तक मोबाइल बेच रहा था, आज दूध-आटा पैक कर रहा है सीधा किचन में घुसा दिया। और सबसे जरूरी ग्राहक से कुछ मत छुपाओ। क्या प्रोटोकॉल है, क्या सफाई है, सब बताओ, फोटो-वोटो दिखाओ। आजकल लोग ट्रांसपेरेंसी के भूखे हैं, उन्हें दिखाओ कि तुम वाकई सीरियस हो।
थोड़ा दूर की सोचो फास्ट डिलीवरी का मतलब क्वालिटी पे समझौता नहीं
अब देखो, भारत में फास्ट डिलीवरी का क्रेज ऐसा है कि लोग सोचते हैं अभी ऑर्डर किया, पांच मिनट में सामान सामने! सही है, लेकिन भाई, ये कोई सुपरहीरो मूवी नहीं। इतनी जल्दी में अगर सफाई, क्वॉलिटी, भरोसा इन सब पर लापरवाही होगी, तो नुकसान कंपनी का भी है और ग्राहक का भी। क्विक कॉमर्स का मतलब ये नहीं कि हेल्थ के साथ रेस लगाओ।
एफडीए की कार्रवाई एक झटका जो सबको जगाने आया
महाराष्ट्र एफडीए की रेड ने उन डार्क स्टोर्स का पर्दा हटा दिया, जिनके बारे में लोग सोचते भी नहीं थे। ये ऐसे गोदाम हैं, जहां परदे के पीछे बहुत कुछ पक रहा होता है अच्छा भी, बुरा भी। ये कार्रवाई एक तरह से अलार्म है, कि अभी भी समय है कंपनियां सुधर जाएं। नहीं तो, ग्राहक का गुस्सा और सरकार की फटकार इन दोनों से बचना मुश्किल है।
आगे की तस्वीर उम्मीद है बदलाव की
अब जो ये सब हो रहा है, उससे उम्मीद है कि क्विक कॉमर्स की दुनिया में थोड़ा सिस्टम आएगा। कंपनियां भी सीखेंगी, ग्राहक भी जागरूक होंगे, और शायद अगली बार खाना मंगवाते वक्त आपके मन में ये डर नहीं रहेगा कि कहीं खाने के साथ एक्स्ट्रा बैक्टीरिया तो फ्री में नहीं आ रहा। सोचो, कितना अच्छा हो अगर क्विक डिलीवरी मतलब सिर्फ स्पीड नहीं, बल्कि हेल्थ, ट्रस्ट और क्वालिटी का भी वादा हो!
आखिर में, भाई लोगो, ध्यान रखो ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, भरोसा सबसे बड़ी करेंसी है। और ये करेंसी संभाल के रखो, क्योंकि एक बार लुट गई, तो फिर मिलना मुश्किल!